Saturday, January 16, 2010

Shayari

हमारी नज़र से नज़र न मिलाओ, घायल हो जावोगे,
हमारी नज़र की एक अदा में फ़िदा हो जावोगे.

नज़र की बाते नज़र से होगी तो नज़र मिलाने में मज़ा आएगा,
उन्हें शब्दों में अगर बयान किया तो मज़ा किरकिरा हो जायेगा.

हम अगर मूड में आये तो सामने वाला भी मदहोश हो जायेगा,
हमारी एक अदा पे वोह पूरा फ़िदा हो जायेगा.

वोह नज़र ही क्या जो नज़रको पलट के देकने में मजबूर न कर पाए,
वोह नज़र ही क्या जो नज़रको पलट के देकने में मजबूर न कर पाए,
नज़र की बात नज़र से इज़हार न कर पाए.

जब नज़र से नज़र मिली, नज़रें शर्मा गयी,
फिर उन्हें देकने की चाहत हुई,
अगली बार जब नज़र मिली, तोह उनसे नज़र हट ही नहीं पाई,
वोह हमसे शर्मा गयी.

2 comments:

Aryan J. Wadekar said...

nice shayri dear....

yogesh said...

your way of writing is very much impressive.... from now we both will become good frds....will u accept it or not?